पुस्तक का नाम - सूर काव्य : दृष्टि एवं विमर्श
सम्पादक - डॉ० ब्रजेश्वर वर्मा
सहायक सम्पादक - डॉ० रामजी पाण्डेय
संस्करण - प्रथम
प्रकाशन वर्ष - सन् २०१० ई०
मूल्य - २३०.०० रुपये दो सौ तीस मात्र
प्रकाशक - सचिव, हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद
मुद्रक - एकेडेमी प्रेस, दारागंज, इलाहाबाद
आकार - डिमाई सजिल्द
प्रकाशकीय
भारतीय मनीषा और भारतीय संस्कृति का चरमोत्कर्ष जिन कुछेक विभूतियों में चरितार्थ हुआ है "सूरदास"उनमें से एक हैं। कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि के रूप में उनके अवदान से हम सभी परिचित हैं। फिर भी अकादमिक स्तर पर उनके कृतित्व के शोधपरक अनुशीलन के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। उनके पंचशती समारोह के अवसर पर १९७८ में "हिन्दुस्तानी" पत्रिका का "सूर-विशेषांक" प्रकाशित किया गया था। जिसे विद्वत्जनों एवं शोधार्थियों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल हुई। आज भी उसकी माँग कम नहीं हुई है। अतः एकेडेमी ने उसको पुस्तकाकार प्रकाशित करने का निर्णय किया। पहले भी "सुमित्रानन्दन पन्त" एवं "प्रेमचन्द" पर प्रकाशित विशेषांकों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। जिसका पाठकों के बीच भरपूर स्वागत हुआ है।
उसी क्रम में शोधार्थियों एवं विद्वत् समाज की माँग को देखते हुए डॉ० ब्रजेश्वर वर्मा द्वारा संपादित यह "सूर-विशेषांक" पुस्तक रूप में प्रकाशित करते हुए हमें अपूर्व प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
३ मार्च सन् २०१०
राम केवल
सचिव
हिन्दुस्तानी एकेडेमी
इलाहाबाद
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