हिन्दुस्तानी एकेडेमी की स्थापना हिन्दुस्तानी (हिन्दी और उर्दू) भाषा को विकास की सीढ़ियों पर ले जाने वाले सभी सार्थक प्रयासों को एक ऐसा मंच देने के उद्देश्य से हुई थी जहाँ मौलिक प्रतिभाओं को अपनी रचनाधर्मिता को प्रकाशित कराने का अवसर मिले और विद्वानों-मनीषियों के शोधपरक कार्यों को सामान्य विद्यार्थियों, अध्येताओं और साहित्यानुरागियों के उपयोग हेतु सहज ढंग से उपलब्ध कराया जा सके। इन उद्देश्यों की पुर्ति के लिए एकेडेमी द्वारा करीब डेढ़ सौ अमूल्य पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है और साहित्यिक गोष्ठियों, व्याख्यान मालाओं, सेमिनार और प्रतिभा सम्मान समारोहों का आयोजन अनवरत किया जाता रहा है।
अपनी इसी उत्कृष्ट परम्परा के निर्वहन के क्रम में हिन्दुस्तानी एकेडेमी द्वारा महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के सौजन्य से हिन्दी ब्लॉगिंग के सम्बन्ध में एक राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार का आयोजन आगामी २३-२४ अक्टूबर, २००९ को किया जा रहा है। इस अवसर पर देश भर से अनेक चिठ्ठाकारों को आमन्त्रित कर अभिव्यक्ति के इस नये माध्यम के इतिहास, स्वरूप और प्रमुख प्रवृत्तियों पर दो दिवसीय चर्चा की जाएगी। इस अवसर पर पारम्परिक साहित्य जगत के अनेक प्रतिष्ठित विद्वान भी प्रतिभागी होंगे।
इस अवसर पर एकेडेमी द्वारा एक पुस्तक का प्रकाशन कर उसके तत्समय लोकार्पण का निर्णय भी लिया गया है जिसमें लगभग पचास चिठ्ठाकारों की चुनी हुई एक-एक ब्लॉग पोस्टों को सम्मिलित कर एक प्रतिनिधि संकलन तैयार किया जाएगा। इसके लिए हिन्दी ब्लॉगर्स से प्रविष्टियाँ आमन्त्रित की जाती हैं। एक ब्लॉगर से केवल एक प्रविष्टि ही स्वीकार की जाएगी। हिन्दुस्तानी एकेडेमी द्वारा गठित सम्पादक मण्डल प्रविष्टियों के चयन पर विचार करेगा जिसकी संस्तुतियों के आधार पर पुस्तक का अन्तिम रूप निर्धारित किया जाएगा। एकेडेमी के ई-मेल पते (hindustaniacademy@gmail.com) पर अपनी प्रविष्टियाँ दिनांक ५.१०.२००९ की मध्यरात्रि तक अवश्य प्रेषित कर दें।
चिठ्ठाकार मित्रों द्वारा पुस्तक के शीर्षक व आवरण पृष्ठ के सम्बन्ध में यदि कोई सुझाव दिया जाता है तो उसका भी स्वागत है। यह पुस्तक हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से प्रिन्ट माध्यम के लिए एक अनुपम भेंट हो, यही हमारी आकांक्षा है।
सचिव - हिन्दुस्तानी एकेडेमी
स्वागत योग्य कदम
जवाब देंहटाएंत्रिपाठी जी
जवाब देंहटाएंअपने ब्लाग पर बहुत कुछ डालते रहते हैं, अब यह कैसे तय करें कि आपको क्या अच्छा लगेगा? वैसे आपका कार्य स्तुतनीय है। आपको अग्रिम बधाई।
हिन्दी चिट्ठों की किताब का प्रकाशन कर आप एक स्तुत्य कार्य कर रहे हैं, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंअब कौन सी पोस्ट आपकी पुस्तक के लिए अनुकूल रहेगी, यह तय तो आप ही करिए। मैं डॉ.श्रीमती अजित गुप्ता जी के कथन से शत प्रतिशत सहमत हूं।
इस पोस्ट पर विचार कर सकते हैं
प्रिंट मीडिया के नाम हिन्दी ब्लॉग मीडिया का खुला पत्र जिसका लिंक है http://avinashvachaspati.blogspot.com/2009/09/blog-post_23.html
इसके अतिरिक्त अपने सभी ब्लॉगों के लिंक दे रहा हूं :-
आपको जो पसंद आए ले सकते हैं।
http://avinashvachaspati.blogspot.com/
http://nukkadh.blogspot.com/
http://pitaajee.blogspot.com/
http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/
http://bageechee.blogspot.com/
http://tetalaa.blogspot.com/
अपने ब्लाग पर बहुत कुछ डालते रहते हैं, अब यह कैसे तय करें कि आपको क्या अच्छा लगेगा?suman
जवाब देंहटाएंloksangharsha.blogspot.com
बड़ा अच्छा लग रहा है कि लोग कह रहे हैं जो चाहे उठालें पुस्तक के लिये। पुस्तक का आदर बहुत है ब्लॉगर के मन में!
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तानी एकेडमी के इस कदम से एक नयी शुरुआत हो रही है । कितना खूबसूरत अनुभव होगा पचास चिट्ठाकारों की बेहतरीन रचनाओं को पढ़ना एक स्थान पर ! इस प्रकाशन के लिये शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम तो यह कहना चाहूंगी की आपका यह प्रयास सराहनीय है, और एक बेहतर प्रयास है जिसके लिये आप मेरे दोनो ब्लाग से जो भी रचना सही समझें उसे अपनी पुस्तक में स्थान दे सकते हैं, आभार सहित
जवाब देंहटाएंhttp://sadalikhna.blogspot.com/
http://ladli-sada.blogspot.com/
स्वागत योग्य कदम ।
जवाब देंहटाएंआभार...!
अच्छा लगा यह सुन कर ..पर कौन सा अच्छा है लेख अपना यह कैसे बताये :)
जवाब देंहटाएंसराहनीय व स्वागत योग्य कदम है । ब्लाग पोस्ट किस विषय पर हो और किस विधा पर कविता कहानी आलेख या व्यंग और कितनी बडी पोस्ट हो कृपा विवरण दे सकें तो धन्यवादी हूँगी आभार्
जवाब देंहटाएंसिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी नमस्कार, भाई यह तो कोई लेखक ही आप को भेज सकता है, हम तो समय गुजारने के लिये जो मन मे आया, जो देखा, उलट सीधा लिख दिया, वेसे हमारा ब्लांग सब के लिये खुला है, जो चाहो लेलो, कापी करो छापो हमे कोई दिक्कत नही.सब की मोजा है जी
जवाब देंहटाएंआप काम बहुत अच्छा कर रहे है.
धन्यवाद
बहुत सुंदर प्रयास है। हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )
मित्रों, आपकी प्रतिक्रिया से मेरी मुसीबत बढ़ गयी है। हम जो पुस्तक प्रकाशित करना चाह रहे हैं उसमें ब्लॉग लेखक की `अपनी सबसे पसन्दीदा रचना' ही रखना चाहते हैं। आपका पूरा ब्लॉग खंगालकर उसमें सबसे अच्छा छाँटना भी हमारे लिए प्रायः असम्भव होगा और कदाचित् वो आपकी पसन्द से उलट भी हो सकता है। इसलिए आप सबसे यह अनुरोध है कि अपनी सर्वश्रेष्ठ पोस्ट का चुनाव आप स्वयं करें। ौर निर्धारित समय सीमा के भीतर अवश्य भेंज दें। आपकी सुविधा के लिए यह किया जा सकता है कि आप यदि अनेक विधाओं में लिखते हैं तो अलग-अलग विधाओं से एक-एक रचनाएं भेंज सकते हैं। इसप्रकार एक ब्लॉगर की अधिकतम तीन प्रविष्टियों पर जो अनिवार्य रूप से अलग-अलग विधाओं की होंगी, विचार करते हुए किसी एक पोस्ट को स्थान दिया जा सकता है। एक ही प्रकरण पर यदि दो-तीन टुकड़ों में पोस्ट लिखी गयी है तो उन्हें जोड़कर एक प्रविष्टि माना जा सकता है।
जवाब देंहटाएंइधर मैं कल सुबह माँ वैष्णो देवी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए सपरिवार निकल रहा हूँ। पाँच अक्टूबर की सुबह लौटूंगा। इसलिए किसी पृच्छा का जवाब नहीं दे सकूंगा। आप अपनी प्रविष्टियाँ भेंजे। हमें आपके ब्लॉग से एक पोस्ट चुनने का भारी काम मत दें। सादर।
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
कोषाध्यक्ष- हिन्दुस्तानी एकेडेमी
आदरणीय सिद्धार्थ शंकर जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी योजना है हिन्दुस्तानी एकेडेमी की। मगर पचास रचनाए ही क्यों!मेरे विचार से रचनाओं की संख्या और बढ़ाई जा सकतीं हैं, लगभग 100 तक। कारण आम तौर पर किसी की पोस्ट ज्यादा बड़ी नहीं होती। इस बिन्दु पर अवश्य विचार करें।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
प्रमोद जी, हमें प्रविष्टियाँ मिलने तो दीजिए। सबका सक्रिय सहयोग देखकर मुझे लगता है कि आपकी बात माननी पड़ेगी। हम पाँच अक्टूबर तक प्रतीक्षा करेंगे।
जवाब देंहटाएंवैष्णव देवी के दर्शन की आपकी यात्रा , आपका प्रवास सकुशल हो -शुभकामनाएं ,मेरे लिए अखरोट लाईयेगा !
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंअखरोट भी मिल रहे हैं क्या?
सिद्धार्थ शंकर जी हमेशा से हिन्दुस्तानी अकेडमी को लेकर गंभीर रहे हैं. मैं पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ. आपका यह कदम सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो. हमारी शुभकामनाये साथ है. कोई सेवा चाहिए तो याद भर कर लीजये. मार्केटिंग सप्पोर्ट के साथ हाजिर हूँ.
जवाब देंहटाएंSuswagatam Siddharth ji
जवाब देंहटाएंबाँच लिए। पाँडेय जी पूर्ववत् सात दिनों में योजना को दंडवत् करवा कर ही दम लेंगे। :)
जवाब देंहटाएंस्वागतम!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया विचार.स्वागत है इस कदम का.
जवाब देंहटाएंअपनी ब्लाग रचनाओं में से किसी एक को इस पुस्तक में प्रकाशन के लिए चयन करना कठिन काम है। ऐसा नहीं हो सकता है क्या कि एक रचनाकार से तीन-चार रचनाएँ मांगी जाएँ और उन में से कोई एक प्रकाशन के लिए चयन कर ली जाए?
जवाब देंहटाएंहमें पुस्तक से पहले
जवाब देंहटाएंअखरोट छिले हुए चाहिएं
जितनी देर में फोड़ेंगे
उतनी देर में पांच पोस्ट
और दस टिप्पणियां और
लिख लेंगे
या जिसने अपनी पोस्टों पर
टिप्पणियां लिखवानी हैं
वे हमारे हिस्से के अखरोट
फोड़ दें
।
पुस्तक में अखरोट का
जिक्र भी होना चाहिए
पुस्तक को पढ़ने पर
अखरोटों का स्वाद आएगा।
अच्छी योजना है हिन्दुस्तानी एकेडेमी की!!
जवाब देंहटाएंमेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं!!किसी एक को इस पुस्तक में प्रकाशन के लिए चयन करना कठिन काम है। वैसे बहुत सुंदर प्रयास है। हार्दिक शुभकामनाएं !!
वैष्णव देवी की आपकी यात्रा !!! शुभकामनाएं!!
सिद्धार्थ जी,
जवाब देंहटाएंएकेडमी का यह एक सराहनीय कदम होगा।मैं यदि सेमिनार वाली तिथियों पर इलाहाबाद रहा तो सेमिनार में उपस्थित होने की कोशिश करूंगा।
हेमन्त कुमार
बेहद ही सराहनीय प्रयास, आपका ये प्रयास और मेहनत सफल हो हार्दिक शुभकामनाये....
जवाब देंहटाएंregards
बहुत अच्छा सुझाव। हमने अमल किया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा सुझाव। हमने अमल किया।
जवाब देंहटाएं