हिन्दुस्तानी एकेडेमी के तत्त्वावधान में गत शनिवार को एकेडेमी सभागार में संस्कृत भाषा और साहित्य के प्रख्यात विद्वान, शिक्षक एवं राष्ट्रपति सम्मान से सुशोभित प्रो०सुरेश चन्द्र पाण्डे का अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कुलपति व प्रतिष्ठित मनीषी प्रो०गोविन्द चन्द्र पान्डेय ने की। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व कुलपति प्रो० के०बी० पाण्डेय समारोह के मुख्य अतिथि रहे। दीप प्रज्ज्वालन के बाद डॉ. दिवाकर दीक्षित एवं उनके शिष्यों ने वैदिक मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। लौकिक मंगलाचरण सुश्री स्मृति शुक्ला ने प्रस्तुत किया जो बहुत सराहा गया।। सचिव डॉ एस०के० पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने गुरू प्रो.सुरेश चन्द्र पाण्डेय जी की महनीय कर्तव्यपरायणता और सच्चे गुरूत्व की चर्चा की तथा लिखित अभिनन्दन पत्र का वाचन कर प्रो०सुरेश चन्द्र पाण्डे को सम्मान स्वरूप अंगवस्त्र, नारियल तथा देवी सरस्वती की प्रतिमा के साथ समर्पित किया। इस अवसर पर प्रो०हरिदत्त शर्मा, प्रो०मृदुला त्रिपाठी, डॉ. गिरिजा शंकर शास्त्री, डॉ. राम मुनि पाण्डेय, श्री राजा राम उपाध्याय, डॉ मृदुला जायसवाल आदि ने प्रो०सुरेश चन्द्र पाण्डे का वाचिक अभिनन्दन करते हुए अपने उद्गार व्यक्त किये।
इस समारोह में एकेडेमी से प्रकाशित निम्न चार पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।
1. साहित्य-शेवधि’ (प्रो०सुरेश चन्द्र पाण्डे अभिनन्दन ग्रन्थ) प्रधान सम्पादक - डॉ एस०के०पाण्डेय, मूल्य:३००/- पृष्ठ: ४३४
2. राजतरंगिणी और कश्मीर नरेश’ – डॉ. उमेश कुमार मिश्र मूल्य:११०/- पृष्ठ: १५२
3. चन्द्रालोक परिशीलन - डॉ स्मिता अग्रवाल मूल्य:२५०/- पृष्ठ: ३४०
4. नलविलास परिशीलन - डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी मूल्य:२२५/- पृष्ठ: २४४
साहित्य शेवधि नामक अभिनन्दन ग्रन्थ में वस्तुतः प्रो. पाण्डेय के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कम आलेख लिखे गये हैं (स्वयं गुरू जी ने अपने शिष्यों को मना कर दिया था।) इसमें संस्कृत और हिन्दी भाषा व साहित्य से जुड़े अनेक विद्वानों द्वारा विविध वि्षयों पर लिखित उत्कृष्ट कोटि के लगभग अस्सी लेख संकलित किये गये हैं। इन लेखकों में तीस प्रोफ़ेसर हैं और उन्चास शोध-उपाधि से सम्पन्न लेक्चरर और रीडर हैं। अनेक लेखक विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति व विभागाध्यक्ष जैसे उच्च पदों पर आसीन हैं, या रहे हैं। गुरु-महिमा को रेखांकित करने वाला यह ग्रन्थ निश्चित रूप से पुस्तक प्रेमियों और अध्येताओं के लिए अमूल्य धरोहर है।
‘राजतरंगिणी और कश्मीर नरेश’ नामक पुस्तक में डॉ. उमेश कुमार मिश्र ने इस मध्ययुगीन गौरव ग्रन्थ मे उल्लिखित कश्मीर के कतिपय प्रसिद्ध राजाओं तथा मन्त्रियों का चरित्र बहुत रोचक शैली में प्रस्तुत किया है।
चन्द्रालोक परिशीलन में विद्वान लेखिका डॉ.स्मिता अग्रवाल ने अनुष्टुप छन्द में काव्यशास्त्रीय सिद्धान्त पर लिखे गये ग्रन्थ ‘चन्द्रालोक’ का परिशीलन किया है। इसमें कुल दस ‘मयूख’ हैं। इस लक्षण ग्रन्थ का साहित्य शास्त्रीय मूल्यांकन शोधार्थियों और उच्चस्तरीय अध्येताओं के लिए दिग्दर्शक का कार्य करेगा।
नलविलास-परिशीलन में डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने नल-दमयन्ती कथा के उद्भव को रेखांकित करते हुए इस कथानक पर आधारित ४१ ग्रन्थों का परिचय देते हुए इसमें से कुछ ग्रन्थों पर नाट्यशास्त्रीय विकास की दृष्टि से प्रकाश डाला है। ग्रन्थकार ने नाट्यदर्पण के प्रणेता जैनाचार्य श्री रामचन्द्र सूरि के विस्तृत परिचय के साथ उनके ग्रन्थ नलविलास नाटक पर विशेष ध्यान आकृष्ट किया है।
उपर्युक्त पुस्तकों के लोकार्पण के बाद गुरुवर्य के सम्मान में उनके अनेक शिष्यों ने अभिनन्दन करते हुए उनके प्रति श्रद्धा और आभार का भाव व्यक्त किया। सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रो०गोविन्द चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि प्रो०सुरेश चन्द्र पाण्डे बहुत स्पष्टवादी तथा सरल बात कहने वाले हैं। मैं समझता हूँ कि सही मनुष्य को पहचानने के लिए सबसे सरल तरीका है उसकी जीवन शैली को जानना। एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व के लिए आवश्यक है कि उसकी बातें खरी, तथा सीधी-सरल होनी चाहिए तथा आचार विचार सरल होना चाहिए। पाण्डे जी में ये दोनो बातें हैं इसलिए मेरे मन में उनके लिए बहुत आदर है।
मुख्य अतिथि प्रो०के०बी० पाण्डेय जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए गुरू की तुलना माता से करते हुए कहा कि "माता को एक सत्पुत्र को जन्म देने और सत्पुरुष बनाने में कितना कष्ट होता है। प्रो०पाण्डे तो सैकड़ों सत्पुत्रों के सारस्वत जन्मदाता हैं और उनको सत्पुरुष बनाने में कितना कष्ट हुआ होगा इसका सहज अनुमान किया जा सकता है। अत: प्रो०पाण्डे तो अभिनन्दनीय हैं ही। मुख्य अतिथि ने बताया कि प्रो०पाण्डे पर गीता का श्लोक ‘अद्वेष्टा सर्वभूतानां’ को अक्षरश: चरितार्थ है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ आनन्द कुमार श्रीवास्तव ने किया तथा कार्यक्रम के अन्त में एकेडेमी के कोषाध्यक्ष श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने उपस्थित विद्वानों, अतिथियों, दर्शकों, श्रोताओ, और मीडिया के लोगों को एकेडेमी की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया।
(प्रस्तुति: सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी)
पुस्तकों के लोकार्पण पर लेखकों को बधाई। उनका परिश्रम सार्थक हुआ।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण पुस्तकें हैं यह । इन्हें पढ़ना चाहूँगा । नलविलास परिशीलन तो बहुत आकर्षित कर रही है ।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण पुस्तकें हैं यह...अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी के लिये धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंIn pustakon ke vishaya mein batane ke liye dhanyavad.
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