प्रयाग की हिन्दी संस्थाओं हिन्दी साहित्य सम्मेलन व हिन्दुस्तानी एकेडेमी तथा हिन्दी के मूर्धन्य विद्वानों एवं लेखकों ने हिन्दी को समृद्ध, समुन्नत व लोकप्रिय बनाने में महती भूमिका निभाई है। पिछली पोस्ट में आपने ‘हिन्दुस्तानी एकेडेमी ’के बारे में जाना। आज प्रस्तुत है हिन्दी साहित्य सम्मेलन का संक्षिप्त परिचय:
२. हिन्दी साहित्य सम्मेलनहिन्दी साहित्य सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में पं. मदन मोहन मालवीय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टण्डन, पं. गोविन्द नारायण मिश्र, डा. राजेन्द्र प्रसाद, पं. राम नारायण मिश्र, पं. जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, शिवप्रसाद गुप्त व पं. सुधाकर द्विवेदी प्रमुख थे।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार निरूपित किए गए -
1. हिन्दी के सर्वांगीण उन्नति का प्रयास करना।
2. देवनागरी लिपि का देश भर में प्रचार-प्रसार करना।
3. हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना।
4. हिन्दी को सुगम, सरल व लोकप्रिय बनाना।
5. हिन्दी साहित्य के विद्वानों को समर्थ व योग्य बनाना।
6. हिन्दी की उच्चस्तरीय परीक्षाओं का आयोजन करना।
प्रयाग में 1911 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का द्वितीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। इसके सभापति थे पं. गोविन्द नारायण मिश्र। इनके अतिरिक्त अब तक जिन लब्धप्रतिष्ठ हिन्दी विद्वानों को सम्मेलन के अधिवेशनों में सभापति बनने का गौरव प्राप्त हुआ है उनमें उल्लेखनीय नाम इस प्रकार हैं:-
बाबू श्याम सुन्दर दास, महामहोपाध्याय पं. रामावतार शर्मा, मोहनदास करमचन्द गांधी, डा. भगवानदास, राजर्षि पुरूषोत्तमदास टण्डन, पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, पं. जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, पं. गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा, श्री गणेश शंकर विद्यार्थी, बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, डा. राजेन्द्र प्रसाद, पं. बाबूराव विष्णु पराड़कर, पं. अम्बिका प्रसाद बाजपेयी, डा. सम्पूर्णानन्द, डा. अमरनाथ झा, पं. माखन लाल चतुर्वेदी, श्री के.एम. मुंशी, श्री वियोगी हरि, महापण्डित राहुल सांकृत्यायन, आचार्य चन्द्रबली पाण्डेय, श्री जयचन्द्र विद्यालंकार आदि।
सम्मेलन ने सन् 1918 में हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की। टण्डन जी इसके प्रथम प्रधानाचार्य थे। इसमें प्रथमा, मध्यमा(विशारद) और उत्तमा (साहित्य रत्न) की उपाधि प्रदान की जाती थी। वर्तमान में यह विद्यापीठ इण्टर मीडिएट कालेज के रूप में परिवर्तित हो गया है। अब यह यमुना नदी के उस पार महेवा ग्राम में लगभग 55 एकड़ भूमि पर स्थित है। उपरोक्त परीक्षा उपाधियों के अतिरिक्त वर्तमान समय में सम्मेलन संगीत विशारद, संगीत मार्तण्ड, आयुर्वेद रत्न, आयुर्वेद विशारद, विज्ञान रत्न आदि उपाधियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है।
सम्मेलन में स्थापित हिन्दी संग्रहालय का उद्घाटन 1936 में महात्मा गांधी ने किया था। इस संग्रहालय में लगभग 69,000 पुस्तकें हैं। साथ ही साथ हजारों बहुमूल्य व दुर्लभ हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ भी सुरक्षित हैं। हिन्दी संग्रहालय में एक पुस्तकालय भी है जिसमें लगभग 17,000 पुस्तकें हैं। इस पुस्तकालय में शोधार्थियों को पढ़ने की विशेष सुविधा है।
सम्मेलन का अपना मुद्रणालय भी है। जिसमें हिन्दी व संस्कृत की सैकड़ों पुस्तकें मुद्रित हो चुकी हैं। मुद्रणालय से मुद्रित प्रमुख पुस्तकों में मानक हिन्दी कोश, मानक अंग्रेजी-हिन्दी कोश, तेलगू-हिन्दी शब्दकोश, कन्नड़-हिन्दी शब्दकोश, मत्स्य पुराण, ब्रह्मपुराण, वायुपुराण, अग्निपुराण, बृहन्नारदीय पुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण, सूरपद पंचशती, बिहारी वैभव, मानस में रीति तत्त्व, श्लेष अलंकार सिद्धान्त एवं प्रयोग, सनेही रचनावली, आचार्य सायण और माधव, आधुनिक कविमाला भाग-1 से भाग-23 तक, ब्रजमाधुरीसार, कबीर संग्रह, प्रेमधन सर्वस्व, हिन्दी विधि शब्दावली, पालि साहित्य का इतिहास, हिन्दी आन्दोलन जातक भाग-1 से भाग 6 तक, आयुर्वेद का इतिहास उल्लेखनीय है।
वर्तमान में सम्मेलन भवन जहाँ पर स्थित है उसकी भूमि 1920 ई. में नगर महापालिका से प्राप्त हुई। इस स्थान पर सम्मेलन का कार्यालय 1923 से प्रारम्भ हुआ।
सम्मेलन द्वारा हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रचार प्रसार व हिन्दी में शोध कार्य को बढ़ावा देने की दृष्टि से ‘राष्ट्र-भाषा सन्देश’ पाक्षिक पत्र का प्रकाशन किया जाता है। जबकि त्रैमासिक शोध पत्रिका के रूप में ‘सम्मेलन पत्रिका’ का प्रकाशन 1913 से ही किया जा रहा है। सम्मेलन पत्रिका के आदि सम्पादक गिरिजा कुमार घोष थे। हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा विगत 34 वर्षों से सम्मेलन दैनन्दिनी का प्रकाशन किया जा रहा है। दैनन्दिनी के प्रथम पृष्ठ पर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का यह दोहा अंकित रहता है-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
सम्मेलन द्वारा विद्वानों को मानद उपाधि से अलंकृत भी किया जाता है। जैसे: साहित्य वाचस्पति, विधि वाचस्पति, साहित्य महोपाध्याय, संस्कृत महोपाध्याय।
साहित्य वाचस्पति उपाधि से सम्मानित कुछ विद्वानों के नाम इस प्रकार हैं - श्री पदुम लाल पुन्नालाल बक्शी, श्री सुमित्रानन्दन पन्त, श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी, श्री वृन्दावनलाल वर्मा, आचार्य विनोवा भावे, आचार्य काकाकालेकर, पं. श्री नारायण चतुर्वेदी, डॉ. धीरेन्द्र वर्मा, श्री जैनेन्द्र कुमार, डॉ. नगेन्द्र, श्री अमृतलाल नागर आदि।
सम्मेलन की ओर से विधि वाचस्पति की उपाधि श्री लक्ष्मीमल सिंधवी, साहित्य महोपाध्याय की उपाधि डा0 विश्वनाथ मिश्र, श्री कवि वैरागी, संस्कृत महोपाध्याय की मानद उपाधि डा0 चंद्रिका प्रसाद शुक्ल, डॉ. सुरेश चन्द्र पाण्डेय, पं. तारिणीश झा, पं. रेवा प्रसाद द्विवेदी आदि को दिया गया है।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कार्यालय का संघटन इस प्रकार है :-
1. प्रबन्ध विभाग 2. प्रचार विभाग 3. परीक्षा विभाग
4. साहित्य विभाग 5. बिक्री विभाग 6. अर्थ विभाग
हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रतिवर्ष हिन्दी में सर्वोत्तम रचना के लिए मंगला प्रसाद पारितोषिक भी दिया जाता है। मंगला प्रसाद पारितोषिक प्राप्त लेखकोंमें मुख्य हैं:-
श्री पद्म सिंह शर्मा, प्रो. सत्यकेतु, डॉ. गोरखप्रसाद, श्री जयशंकर प्रसाद, रामचन्द्र शुक्ल, वासुदेव उपाध्याय, श्रीमती महादेवी वर्मा, आचार्य बलदेव उपाध्याय, डॉ.वासुदेवशरण अग्रवाल, श्री यशपाल, श्री नरेश मेहता, डॉ. गोविन्द चन्द्र पाण्डेय, डॉ. विद्यानिवास मिश्र आदि।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार व उन्नयन में उल्लेखनीय योगदान किया है। इसी क्रम में सम्मेलन के अनेक अधिवेशन दक्षिण भारत के महानगरों में आयोजित किए गए। जैसे 1937 में मद्रास, 1949, 1977 व 2005 में हैदराबाद, 1997 में तिरूपति, 2000 में बैंगलोर, 2001 में गोवा, 2002 में तिरूवनन्तपुरम। इससे एकओर जहाँ दक्षिण भारत में हिन्दी को फूलने-फलने का अवसर मिला है वहीं राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को सुदृढ़ करने वाली कड़ी के रूप में भी हिन्दी सुस्थापित हुई है।
इसी प्रकार हिन्दीतर क्षेत्रों के हिन्दी विद्वानों को सम्मानित कर के भी सम्मेलन ने हिन्दी को सर्वमान्यता, व्यापकता व स्वीकार्यता प्रदान करने का कार्य किया है। ऐसे विद्वानों में प्रमुख हैं:-
श्री जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन, श्री मोट्टरि सत्यनारायण, श्री जी. सुन्दर रेड्डी, डॉ. कर्णराज शेष गिरिराव, डॉ. एम. शेषन, डॉ. एम. के. वेलायुधन नायर, डॉ. श्रीमती राधाकृष्णमूर्ति, श्री त्रिलोचन पाणिग्रही, श्री अर्जुन सत्पथी, श्री कृ.पा. पाटील, प्रो. आर. जनार्दनन पिल्लै, डॉ. वी0पी0 मुहम्मद कुजमेत्तर, डॉ. वी. गोविन्द शेनाय, प्रो. कण्ठमूर्ति आदि।
हिन्दी साहित्य सम्मेलन का इतिहास भारतीय स्वाधीनता के इतिहास का अभिन्न अंग रहा है। जन जागरण में भी इसकी प्रमुख भूमिका रही है। राजर्षि टण्डन जी इस संस्था के प्राण थे। जिस निस्पृहभाव से यावज्जीवन टण्डन जी ने हिन्दी व सम्मेलन कीसेवा की वह अकल्पनीय है। ऋषिकल्प टण्डन जी ने अपनी नैतिकता व सत्यनिष्ठा के तप के बल पर अहिन्दी भाषी लोगों को हिन्दी के पक्ष व समर्थन में खड़ा किया। सम्मेलन केपूर्व प्रधानमंत्री डॉ. प्रभात शास्त्री ने ठीक ही कहा था,
‘‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग भारत की ऐसी संस्था है जो अपनी व्यापकता और लोकप्रियता में कभी राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद दूसरा स्थान रखती थी।’’
सम्मेलन ने अपना प्रेक्षागृह ‘‘राजर्षि टण्डन मण्डपम्’’ का भी निर्माण परिसर में ही किया है। 2008 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सत्र सभापति डॉ. राममूर्ति त्रिपाठी व प्रधानमंत्री श्री विभूति मिश्र जी हैं।
(डा. एस.के. पाण्डेय)
सचिव-हिन्दुस्तानी एकेडेमी
एवं अपर जिलाधिकारी(वित्त एवं राजस्व)
इलाहाबाद
मैं आपके लेख से काफी प्रभाविक हुआ पर क्या हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा चलाई जाने वाली परीक्षाएँ सही हैं अर्थात मान्यता प्राप्त है कृपया मार्गदर्शन किजिए
जवाब देंहटाएंहिंदी साहित्य संमेलन,प्रयाग द्वारा दी गयी सर्टिफिकेटस सही तभी मानी जाएगी,जब की उन्होने statewise हरसाल जारी किए गये सर्टिफिकेटस की o/c के साथ students के नाम रजिस्टर पंजीकरन की नोंद भी होनी चाहिये.
जवाब देंहटाएंजब तब की हिंदी साहित्य संमेलन द्वारा जारी कि ए गए किसी भी साल का किसी भी students की degree का verification कोई भी state या उसका कोई भी district/regional/state department या Taluka/district/highcourt/Supreme court किसी यांनी हिंदी साहित्य संमेलन द्वारा जारी किए गए petitioner की degree verification order issued कर देता है,तब उस degree certicate का verification हिन्दी साहित्य संमेलन बोर्ड द्वारा आसानी से मिल सके.
यहां एक बात मै और स्पष्ट करना चाहता हूँ की हिंदी साहित्य संमेलन जिस नाम से degree प्रदान कर रही है,जिस विषय मे जारी कर रही है,तो सिर्फ उस विषय की degree का verification मे लेखी दायित्व स्विकार करे.
समकक्ष मान्यता के बारे मे किसी भी प्रकार का दायित्व स्विकार न करे.केंद्र सरकार का मानव संसाधन विकास विभाग or स्थानिय state का विधानसभा की मनशा पर समकक्ष (it's equivalent to local regular exclusive degrees or not) मान्यता निर्भर करती है.
अतः एक बात का हिंदी साहित्य संमेलन को संग्यान हमेशा रहे की उन्होने किसी भी पुराने साल का जारी किए गए किसी भी degree का verification report
*हिंदी साहित्य संमेलन कार्यालय,स्थान....,,जिल्हा.....राज्य.....द्वारा छात्र........के नाम से पदवी/अभ्यासक्रम........कालावधी......मे हिंदी साहित्य संमेलन प्रयाग द्वारा उपाशी पदवी दि गयी है.जो सच और बराबर है.*
प्रधानमंत्री.
कार्यालय की sign & stamp.
हिंदी साहित्य संमेलन,प्रयाग,अलाहाबाद.
अगर ऐसा verification report देने मे /issue करने में हिंदी साहित्य संमेलन कार्यालय अगर असमर्थ पाया जाता है,तो कानूनन माना जाता है की हिंदी साहित्य संमेलन द्वारा जारी किया गया degree certificate अवैध है.
जनहित मे जारी.
कोमल शिंदे,
औरंगाबाद,महाराष्ट्र.
मैने आपकी संस्था को Aurangabad Maharashtra से Ritght to Information Act 2005 के अंतर्गत माहिती अधिकार आवेदनपत्र
जवाब देंहटाएंप्रती,
मा.शासकीय माहिती अधिकारी साहेब.
Administration Information Officer.
हिंदी साहित्य संमेलन,प्रयाग 12,सम्मेलन मार्ग,
गोसाई तोला,साऊथ मलाका,अलाहाबाद,
उत्तरप्रदेश 211 001
के नाम से तिथी 07/02/2018 को भारतीय डाक विभाग के speed post सै अधिकृत Information मिलने हेतू आवेदन पत्र भेज दिया है.
वास्तविक रूप में हिंदी साहित्य संमेलन प्रयाग,अतिरिक्त कार्यालय--188,बहाद्दूरगंज,इलाहाबाद-3 द्वारा प्रदत्त इस संस्था का अधिकृत अभ्यासकेन्द्र संख्या study centre no.-286,केंद्र का नाम-ए.टी.आई.कॉलेज,औरंगाबाद,महाराष्ट्र द्वारा शिक्षा विशारद पदवी, मैने जानेवारी 2010 की शिक्षा विशारद पदवी मैने प्राप्त की है.और इस degree का verification report की मुझे अत्यंत आवश्यकता है.
शिक्षा विशारद degree से संग्यान होता है की सन जानेवारी 2010 मे इस संस्था का प्रधान मंत्री श्रीधर शास्री थे,तो परिक्षाधिकारी राकेश मिश्रजी थेट,तो परीक्षायोजक के.शी.वारापान्त थे.ये संस्था और आपकी संस्था अलग अलग है,ऐसा Ati संस्था अभ्यासकेन्द्र द्वारा बताया जा रहा है.
अगर आप इस संस्था के उपरी अधिकारी से संलग्न है या आप इन मे से किसी को जानते हो, जो मुझे verification report दे सके,
तो निम्न phone contact no.पर तुरंत संपर्क करे.
--07709168036.
औरंगाबाद,महाराष्ट्र.
जनहित मे जारी.
Govind mourya हमने हि.सा.सम्मेल पृयाग इलाहाबाद किया ।और पशु पा बिभाग नौकरी पाया किन्तु आमान्य दिखाकर हटा दिया गया इस पर कैसे बिश्वाश करे? 9451350828 ।सन 2000 मे मध्यमा किया है।
जवाब देंहटाएं