हिन्दुस्तानी एकेडेमी में जन सूचना अधिकार का सम्मान

जनसूचना अधिकारी श्री इंद्रजीत विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष, हिन्दुस्तानी एकेडेमी,इलाहाबाद व मुख्य कोषाधिकारी, इलाहाबाद। आवास-स्ट्रेची रोड, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद कार्यालय-१२ डी,कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
प्रथम अपीलीय अधिकारी श्री प्रदीप कुमार्, सचिव,हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद व अपर जिलाधिकारी(नगर्), इलाहाबाद। आवास-कलेक्ट्रेट, इलाहाबाद कार्यालय-१२डी, कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
दूरभाष कार्यालय - (०५३२)- २४०७६२५

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

काव्य संग्रह- केदार सम्मान के कवि

हिंदुस्तानी एकेडेमी की अनुपम भेंट

‘केदार शोध पीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष समकालीन हिंदी कवियों में से ऐसे कवि को चयनित कर केदार सम्मान प्रदान किया जाता है जिन्होंने अपनी कविता से केदार नाथ अग्रवाल की जातीय काव्य परंपरा, सौंदर्य, प्रेम और संघर्ष की चेतना को आगे बढ़ाया है। वर्ष 1996 से प्रारम्भ किए गये इस पुरस्कार से अबतक चौदह समकालीन रचनाकारों को सम्मानित किया जा चुका है। हिंदुस्तानी एकेडेमी ने गुणवत्तायुक्त साहित्य के प्रकाशन की अपनी समृद्ध परंपरा का निर्वाह करते हुए इन चौदह पुरस्कृत कवियों की प्रतिनिधि कविताओं का संकलन प्रकाशित किया है। इन कवियों का विवरण निम्नवत है:

वर्ष

कवि

पुरस्कृत कृति

1996

नासिर अहमद सिकंदर

जो कुछ भी घट रहा है दुनिया में

1997

एकांत श्रीवास्तव

अन्न हैं शब्द मेरे

1998

कुमार अंबुज

क्रूरता और अनंतिम

1999

विनोद दास

वर्णमाला से बाहर

2000

गगन गिल

यह आकांक्षा समय नहीं

2001

हरीश चंद्र पांडे

एक बुरूँश कहीं खिलता है

2002

अनिल कुमार सिंह

पहला उपदेश

2003

हेमंत कुकरेती

चाँद पर नाव

2004

नीलेश रघुवंशी

पानी का स्वाद

2005

आशुतोश दुबे

असंभव सारांश

2006

बद्री नारायण

शब्दपदीयम्‌

2007

अनामिका

खुरदुरी हथेलियाँ

2008

दिनेश कुमार शुक्ल

ललमुनिया की दुनिया

2009

अष्टभुजा शुक्ल

दुःस्वप्न भी आते हैं

front-coverमुखपृष्ठ kedar samman -flapफ्लैप

हिंदुस्तानी एकेडेमी के सचिव श्री प्रदीप कुमार ने अपने प्रकाशकीय आलेख में इस पुस्तक की उपादेयता पर प्रकाश डाला है। (बड़ा करके पढ़ने के लिए नीचे के आलेख पर क्लिक करें)

प्रकाशकीय प्रकाशकीय-२

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(पिछला आवरण पृष्ठ- सम्पादक त्रयी के परिचय के साथ)

आशा है यह संकलन काव्य साहित्य के पारखी आलोचकों, अध्येताओं, विद्यार्थियों व सामान्य पाठकों, के लिए अत्यंत उपयोगी होगा।

6 टिप्‍पणियां:

  1. इतनी शानदार जानकारी के लिए शुक्रिया ....हिंदी साहित्य में (पीएच. डी.)तक की शिक्षा ग्रहण करने के कारण इन कवियों से परिचय था आज इस ब्लॉग पर यह जानकारी मन अति प्रसन्न हुआ,..शुक्रिया

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  2. एक कविता दिनेश कुमार शुक्ल की इसी पुस्तक से-

    ललमुनिया की दुनिया

    उलझी-पुलझी झाड़ी लाखों साल पुरानी
    उस पर बैठी ललमुनियाँ थी बड़ी सयानी
    इस टहनी से उस टहनी पर फुदक रही थी
    टहनी में काँटे काँटों में टीस भरी थी
    लगती थी सूखी झाड़ी पर हरी-भरी थी
    फूल खिले थे फूलों में मुरझाया था मन

    तौला मैंने फिर फिर तौला अपने मन को
    लिखा-मिटाया लिखा-मिटाया फिर जीवन को
    खुद को ठोक बजाया पत्थर पे दे मारा
    हारी बाजी जीता, जीती बाजी हारा

    साधा फिर-फिर माया ठगिनी के ठनगन को
    अनदेखे ही आँखें दे दीं इनको उनको
    फिर भी खालिस बचा ले गया मैं बचपन को

    झाड़ी में ललमुनियाँ
    ललमुनियाँ में दुनिया
    दुनिया में जीवन
    जीवन में हँसता बचपन
    बचपन की आँखों के हँसते नील गगन में
    देखा चली जा रही थी उड़ती ललमुनियाँ

    टूटी फूटी भाषा अगड़म-बगड़म बानी
    ये दुनिया ललमुनियाँ की ही कारस्तानी
    कौआ-कोयल तोता-मैना की शैतानी
    झूठमूठ की भरो हुँकारी झूठमूठ की कथा-कहानी

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  3. बढिया जानकारी के लिए आभार। विजेताओं को बधाई॥

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका कार्य साहनीय है........जानकारी उपयोगी है

    जवाब देंहटाएं

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