हिन्दी प्रेमी मित्रों,
इस ब्लॉग पर पोस्ट करने के लिए मैंने एकेडेमी के बारे में लिखे गये कुछ लेख वहाँ से अपनी पेन-ड्राइव में भरकर यहाँ अपने कम्प्यूटर में चढ़ा रखे हैं। ये लेख हिन्दुस्तानी त्रैमासिक में प्रकाशित होने वाले हैं। एकेडेमी के कम्प्यूटर पर यह ‘कुंडली’ फॉन्ट में टाइप किया हुआ था। वहीं से लाकर मैने उसे यहाँ प्रस्तुत करने का प्रयास किया तो एक विकट समस्या आ खड़ी हुई।
हुआ ये कि जब मैने आलेख को कॉपी करके ब्लॉगर के पोस्ट फील्ड (window) में चिपकाया तो पूरी सामग्री अनजाने अक्षरों में बदल गयी। जानकार लोग तो समझ ही गये होंगे कि यह समस्या यूनीकोड व्यवस्था की है। यानि जो अक्षर यूनीकोड समर्थित नहीं हैं, उन्हें यहाँ नकल-चिपकाने पर रूप बदल कर अपठनीय हो जा रहे हैं। इतना ज्ञान मुझे तब हुआ जब मैने इस समस्या को अपने गुरुदेव से बतायी। लेकिन समस्या जानने के बावजूद इसका समाधान नहीं हो सका है। हमारे सरकारी दफ़्तर को तकनीकी सुविधा मुहैया कराने वाली संस्था NIC के स्थानीय मुखिया ने कुंडली फॉण्ट को यूनीकोड में परिवर्तित करने का कोई सॉफ़्टवेयर होने से अनभिज्ञता जाहिर कर दी।
सारथी पर यूनीकोड रिपेयर औंजार का लिंक भी मेरे काम नहीं आ सका। कदाचित् मैं इसे समझ नहीं पा रहा हूँ। अन्य श्रोतों को आजमाने में डर इस लिए रहा हूँ कि जानकारी कम है, कहीं ज्यादा छेड़छाड़ से कम्प्यूटर की वर्तमान सेटिंग न बिगड़ जाय।
यदि मुझे कुंडली को यूनीकोड में बदलने का जुगाड़ नहीं मिला तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। पूरी सामग्री barahaIME पर दुबारा टाइप करने में तो मेरे दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली दम तोड़ देगी। इस प्रकार यदि परिवर्तक औंजार नहीं मिल सका तो पूरी सामग्री आपके सामने लाने का मेरा सपना ही टूट जाएगा। ...सोचता हूँ, यह ब्लॉग फिर किस काम आएगा?
मुझे लगता है कि जो लोग इस तकनीक के जानकार हैं वे मेरी इस बात पर मुस्करा रहे होंगे। कहते होंगे, “खूब फँसे हो बेटा! अब झेलो... थोड़ा और झेल लो उसके बाद तो हम धीरे से सरल उपाय बता ही देंगे। कम्प्यूटर पर दसों उंगलियाँ तो चलती नहीं, चले हैं ब्लॉगर बनने... अब देखो मजा... मिट्टी के माधो... बस तर्जनी चला कर इतरा रहे थे।”
लेकिन अब मैं बहुत झेल चुका हूँ, हार मानता हूँ।
अतः, हे परम आदरणीय ई-स्वामियों, ई-गुरुओं, व ई-सम्राटों, मेरी बेचैनी को और अधिक बढ़ाने के बजाय झट से वह जुगाड़ भेज दीजिए जिससे मेरा काम आसान हो जाय। सच कहता हूँ, यदि आपने नहीं बताया, और मैं जिद में पूरा का पूरा लेख एक उंगली से टाइप करने लगा तो मेरे घर में समय के लिए जो मार-काट मचेगी और जो अनेकानेक दूसरी समस्याएं उठ खड़ी होंगी, उसका सारा पाप आपलोगों के सिर जाएगा। जब एक निरीह ब्लॉगर की दुर्दशा करने का आरोप लिए घूमना पड़ेगा तो मुझे दोष मत दीजिएगा।
...शायद आप मेरी इस अपील के मर्म को समझ गये होंगे। तो जल्दी कीजिए, मेरे ई-मेल पर या यहीं टिप्पणी के माध्यम से आपात सहायता तत्काल भेजिए।
प्रतीक्षा में-
आपका अबोध अनुज
(सिद्धार्थ)
हिन्दुस्तानी एकेडेमी में जन सूचना अधिकार का सम्मान
जनसूचना अधिकारी
श्री इंद्रजीत विश्वकर्मा,
कोषाध्यक्ष, हिन्दुस्तानी एकेडेमी,इलाहाबाद व मुख्य कोषाधिकारी, इलाहाबाद।
आवास-स्ट्रेची रोड, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद
कार्यालय-१२ डी,कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
प्रथम अपीलीय अधिकारी
श्री प्रदीप कुमार्,
सचिव,हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद व अपर जिलाधिकारी(नगर्), इलाहाबाद।
आवास-कलेक्ट्रेट, इलाहाबाद
कार्यालय-१२डी, कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
दूरभाष कार्यालय - (०५३२)- २४०७६२५
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कोई हेल्पर आया नहीं? आप रवि रतलामी को ई-मेल कीजिये और अनुनाद के ब्लॉग पर टिप्पणी में गुहार लगाइये।
जवाब देंहटाएंलोग नये ब्लॉग की पोस्ट शायद न पढ़ें, अपनी मेल या अपने ब्लॉग पर टिप्पणी तो देखेंगे।
मैने नेट पर समाधान खोजने का यत्न किया। मिला नहीं।
'हिन्दुस्तानी एकेडमी' को अन्तरजाल पर पाकर अपार प्रसन्नता हो रही है। यह बहुत सुखद है कि हिन्दी की संस्थाएँ अपने पिछड़ेपन के टैग से मुक्त होती हुई दिख रही हैं।
जवाब देंहटाएंफाण्ट परिवर्तन की समस्या का समाधान हो जायेगा। आपने लिखा है कि कुण्डली फ़ाण्ट , आगरा फ़ाण्ट के निकटतम है और इससे आपका ९५% काम हो जा रहा है। मैं कुण्डली के लिये फ़ाण्ट-परिवर्तक बनाऊँ, इसके लिये आप कुण्डली फ़ाण्ट का कुछ टेक्स्ट और उसके साथ उसी टेक्स्ट का यूनिकोडित स्वरूप टेक्स्ट फ़ाइलों के रूप में मुझे मेल कर दीजिये। मै एक सप्ताह के भीतर इस काम को पूरा कर दूंग़ा।
अनुनाद जी,
जवाब देंहटाएंफाइल तैयार कर ली गयी है, लेकिन आपका ई-मेल नही मिल रहा है। hindustaniacademy@gmail.com पर अपना पता भेंजने का कष्ट करें।