पिछली पोस्ट पर हिन्दी ब्लॉग जगत के सक्रिय चिठ्ठाकारों से उनकी चुनिन्दा ब्लॉग-पोस्टें आमन्त्रित की गयी थी। हिन्दुस्तानी एकेडेमी जैसी प्रतिष्ठित संस्था के प्रांगण में हिन्दी चिठ्ठाकारी के सम्बन्ध में आयोजित आगामी राष्ट्रीय गोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर प्रख्यात समालोचक प्रो. नामवर सिंह व महात्मा गान्धी अन्तर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय के हाथों इलाहाबाद की प्रबुद्ध जनता के सामने उस पुस्तक के लोकार्पण की योजना है। गत पाँच अक्टूबर तक की निर्धारित समय सीमा बीत जाने पर मैने जब एकेडेमी का मेलबॉक्स देखा तो स्थिति उत्साहजनक नहीं थी। कोई पन्द्रह-बीस प्रविष्टियाँ ही मिलीं थीं
ऐसी स्थिति में किताब कैसे छपेगी? छोटी सी चादर, क्या ओढ़े... क्या बिछाएं...किताब की मोटाई कैसे नपेगी?
इतना बड़ा ब्लॉगिंग परिवार और हजारों पोस्टों की बौछार, लेकिन हाथ आयीं बस दो-चार? क्या बात है यार?
मैने कुछ दोस्तों से पूछा...। क्यों प्यारे, अबतक काहे रह गये छूछा...?
कुछ लोगों ने ली अंगड़ाई, अपनी आलस भगाई, और तड़ से दस प्रविष्टियाँ बक्से में आयीं।
थोड़ी ढाढस बँध गयी, मेरी इच्छा, मेरी तैयारियों की राह, राह में आगे बढने की मेरी मेहनत मानो सध गयी।
लेकिन अभी ठहरिए, अभी पूरी बात नहीं बनी है। अभी भी ब्लॉगमण्डली के विस्तार के हिसाब से प्रविष्टियों की विरलता से उत्पन्न चिन्ता की बदली घनी है।
तेईस का कार्यक्रम तो बड़ा बन पड़ा है। वहाँ आने वाले महानुभावों का कद ऊँचा बहुत घणा है। इसीलिए हम आयोजकों का इम्तहान बहुत कड़ा है।
आप क्या सोचते हैं, आपके होने के बावजूद हम फेल हो जाएं? फुरसतिया जी के शब्दों में ‘पढ़े फारसी और बेंचे तेल’ हो जाएं।
सोचिए, दुनिया क्या सोचेगी... हमें यूँ ऊँघता देख क्यों नहीं हमारा मुँह नोचेगी?
कहकहे लगाएगी, ताने मारेगी...। इसी दम पर ब्लॉगिंग का गुनगान करते थे? यह कहकर दुत्कारेगी।
एक कायदे की किताब भर का मैटर जुटा नहीं सकते... कोई तीन सौ पेज क्वालिटी से भरा माल अटा नहीं सकते?
हे ब्लॉगजगत के महानुभावों, शूरवीरों, कलमकारों, लिख्खाड़ों... अपनी-अपनी मेहनत से ही बन चुके भीमकाय पहाड़ों...
कुछ तो रहम खाइए, मान जाइए, इस शारदा भूमि पर आइए, ब्लॉगजगत में जो कुछ अच्छा-बुरा हो रहा है उसे खुलकर बताइए, दुखी होकर रोइए या खुश होकर गाइए, कुछ भी गुनगुनाइए, ...बस अपनी कलम की ताकत दिखाइए,
पठाइए-पठाइए... अपनी चुनी हुई सबसे अच्छी रचना पठाइए।
पता है: hindustaniacademy@gmail.com
बिल्कुल अन्तिम तिथि: १० अक्टूबर, २००९ मध्यरात्रि।
निवेदक: सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
कोषाध्यक्ष-हिन्दुस्तानी एकेडेमी
हिन्दुस्तानी एकेडेमी में जन सूचना अधिकार का सम्मान
जनसूचना अधिकारी
श्री इंद्रजीत विश्वकर्मा,
कोषाध्यक्ष, हिन्दुस्तानी एकेडेमी,इलाहाबाद व मुख्य कोषाधिकारी, इलाहाबाद।
आवास-स्ट्रेची रोड, सिविल लाइन्स, इलाहाबाद
कार्यालय-१२ डी,कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
प्रथम अपीलीय अधिकारी
श्री प्रदीप कुमार्,
सचिव,हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद व अपर जिलाधिकारी(नगर्), इलाहाबाद।
आवास-कलेक्ट्रेट, इलाहाबाद
कार्यालय-१२डी, कमलानेहरू मार्ग, इलाहाबाद
दूरभाष कार्यालय - (०५३२)- २४०७६२५
शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009
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यकीन मानिये ये बिल्कुल अंतिम वाली तिथि को हाथ से जाने नहीं देंगे..
जवाब देंहटाएंयह पद्यात्मक गद्य है या गद्यात्मक पद्य -काफी देर से यही सोच विचार कर रहा हूँ !
जवाब देंहटाएंइतनी कम प्रविष्टियों के आने पर आश्चर्य के साथ कौतूहल भी है कि देखें क्या क्या छपता है किताब में।
जवाब देंहटाएंहो सके तो ब्लॉग पोस्टों के साथ कुछ टिप्पणियों को भी किताब में जगह दें ताकि वह लोग जो अभी ब्लॉगिंग में नहीं हैं या कम्पयूटर नहीं उपयोग करते, उन्हें इससे जानकारी मिल सकती है कि पोस्टों पर चर्चा कैसे होती है या कि लोगों के इस पोस्ट के बारे में क्या विचार हैं। लोग कैसे अपनी बात एक मंच पर रखते हैं... ताकि अधिक से अधिक लोग ब्लॉगिंग के इस अनोखे परसंवाद मंच के बारे में जान सकें जहां न डायस होता है, न बैनर, न कुर्सी, न माईक ....फिर भी परिसंवाद होता है।
सतीश जी के सुझाव पर ध्यान दिया जाय।
जवाब देंहटाएंआप की काव्य प्रतिभा तो पहले भी देखी है। आनन्द आ गया।
इतने प्यार से काहें प्रविष्टि माँग रहे हैं। धमकाइए। जिसने नहीं भेजा उसका हुक्का पानी बन्द।
No Comments |
बड़े आए हिन्दी चिठ्ठा के महारथी ! हुँह
अरे सिद्धार्थ जी!!
जवाब देंहटाएंडोन्ट वरी !!
अंतिम समय के ही हम काम करने वाले हैं ?
दरी - वरी कब बिछानी है ..... बताइयेगा!
हम भेज चुके हैं, मिली या नहीं, सूचना दें। बाकी आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंहमने तो पठा दी है अपनी प्रविष्टि पहले ही ।
जवाब देंहटाएंपर प्रविष्टियों की इतनी कम संख्या चौंकाती है ।
लिखा तो बहुत है .. लेकिन ज्योतिष पर .. छपने को क्या भेजूं .. मेरी लिखी कहानियां भी काफी लंबी हो जाती हैं .. एक लघु कथा लिखी है .. भेज रही हूं ?
जवाब देंहटाएंमैंने भी भेज दी है सूचना दे मिली है या नहीं ..बहुत कम लोगों ने भेजा है अब तक ...
जवाब देंहटाएंसरल सा उपाय है- चिठाचर्चा पर जाइए, लिंक उठाइये, जो जंचा, उससे अनुमति लेकर छाप दीजिए। कोई चिंता नहीं...:)
जवाब देंहटाएंसतरंगी अपनी रचना के साथ 30 सितम्बर को पहुच चुका है. बाकी ये मनुहार भली लगी.
जवाब देंहटाएंसंभव हो तो प्राप्ति की सूचना भिजवाये. मैं भी प्रयास कर कर रहा हूँ की मेरे कुछ और ब्लोगर मित्र जल्द से जल्द अपनी प्रविष्टियाँ भेज दें.
ab kya bataayein, ham ye post kab dekh rahe hain wo to aap hamara comment ka time dekh kar hi samajh jayenge...
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