हास्य-व्यंग्य से सराबोर ठहाकों में रची-बसी, जिन्दादिली से भरपूर जिन्दगी जीने वाले गीतकार कैलाश गौतम जी को गुजरे हुए तीन बरस बीत चुके हैं। ९ दिसम्बर २००६ को कैलाश गौतम जी का चुपचाप चले जाना कितना आकस्मिक और किंकर्तव्यविमूढ़ कर देने वाला पल था। उनकी अनुपस्थिति कवि सम्मेलनों के मंच पर सालती रहती है।
जन्म:8 जनवरी 1944 निधन: 9 दिसम्बर 2006
जन्म स्थान: जनपद वाराणसी (अब चंदौली), उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ:सीली माचिस की तीलियाँ, जोड़ा ताल, सिर पर आग,कविता लौट पड़ी
कवि कैलाश गौतम उत्सवधर्मी रचनाकार थे। जीवन की रागानुभूतियाँ उन्हें भीतर तक उत्तेजित और प्रेरित करती थीं। इसीलिए भउजी, सियाराम, जैसे पात्रों के राग रंग से भरे स्नेह- मेले-ठेले, पर्व-त्यौहार और गाँव-गिराँव की बातें उनके गीतों की अनुभूतियों में समायी हुई थीं। जनकवि अपनी कृतियों और गीतों के बीच बहुत कुछ छोड़ गये हैं जो साहित्यिक चिंतकों के बीच विरासत का काम करेगी और प्रयाग की धरती ही नहीं पूरी मानवता उसकी सुगंध से महकती रहेगी।
हिन्दुस्तानी एकेडेमी के पूर्व अध्यक्ष स्व० कैलाश गौतम की पुण्य तिथि ९ दिसम्बर २००९ को एकेडेमी ने “कैलाश गौतम स्मृति दिवस” के रूप में स्मरण करने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर एक विशिष्ट काव्य समारोह का आयोजन अपराह्न ३:०० बजे से एकेडेमी सभागार में किया गया है। इस समारोह का प्रमुख आकर्षण लोकप्रिय गीतकार डॉ० कुमार विश्वास का एकल काव्यपाठ होगा। इस अवसर पर स्वर्गीय गौतम जी के अत्यन्त निकट रहने वाले, नवगीत विधा के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर गीतकार यश मालवीय अपने संस्मरणों द्वारा जनकवि कैलाश गौतम को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
कार्यक्रम में शहर के लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार, गीतकार, कवि और कविताप्रेमी शामिल होंगे। इस अवसर पर गणमान्य नागरिकों, विद्वत्जनों एवं काव्य साहित्य के अनुरागियों को एक तरफ़ स्व.कैलाश गौतम के विलक्षण व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित होने का अवसर मिलेगा तो दूसरी ओर जिस काव्यविधा में उनके प्राण बसते थे उसी मंचीय कविता के रस से राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मन्चों को सिक्त कर देने वाले एक लोकप्रिय कवि के कविता पाठ का भरपूर आनन्द उठाने का अवसर भी मिलेगा।
अतः सभी काव्यप्रेमियों, प्रशंसकों और स्थानीय बुद्धिजीवियों से अनुरोध है कि कार्यक्रम में उपस्थित होकर कैलाश गौतम स्मृति समारोह को विशेष गरिमा प्रदान करें।
सचिव, हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद
इन्तजार रहेगा यदि कार्यक्रम का विडियो देखने मिले तो आनन्द आ जायेगा.
जवाब देंहटाएंयादगार परिचय.
जवाब देंहटाएंएक विख्यात साहित्यकार की स्मृति में आयोजन वंदनीय है॥
जवाब देंहटाएंएक रेडियोकर्मी के रूप में मेरी तरफ़ से आकाशवाणी के अमर व्यक्तित्व को नमन एवँ श्रद्धांजलि.
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