हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद व साहित्य भण्डार, इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक ४.०३.२००९, दिन बुधवार, अपराह्न २:०० बजे, हिन्दुस्तानी एकेडेमी सभागार में "केदारनाथ अग्रवाल की काव्य सम्पदा" पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया है। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार श्री दूधनाथ सिंह करेंगे तथा विचार गोष्ठी में प्रो० राजेन्द्र कुमार, डॉ० मत्स्येन्द्र नाथ शुक्ल तथा वाराणसी से पधारे श्री आशीष त्रिपाठी मुख्य वक्ता होंगे।
जन्म: 01 अप्रैल 1911 निधन: 22 जून 2000
जन्म स्थान
ग्राम कामासिन, जिला बाँदा, उत्तर प्रदेश
केदारनाथ अग्रवाल प्रगतिशील काव्य-धारा के एक प्रमुख कवि थे। उनका पहला काव्य-संग्रह युग की गंगा आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए यह
संग्रह एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है। केदारनाथ अग्रवाल ने मार्क्सवादी दर्शन को जीवन का आधार मानकर जनसाधारण के जीवन की गहरी व व्यापक संवेदना को अपनी कविताओं में मुखरित किया है। कवि केदार की जनवादी लेखनी पूर्णरूपेण भारत की सोंधी मिट्टी की देन है। इसीलिए इनकी कविताओं में भारत की धरती की सुगंध और आस्था का स्वर मिलता है।
केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं का अनुवाद रूसी, जर्मन, चेक और अंग्रेज़ी में हुआ है। उनका कविता-संग्रह 'फूल नहीं, रंग बोलते हैं', सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है :
केदारनाथ अग्रवाल के प्रमुख कविता संग्रह है : (1) युग की गंगा, (2) फूल नहीं, रंग बोलते हैं, (3) गुलमेंहदी, (4) हे मेरी तुम!, (5) बोलेबोल अबोल, (6) जमुन जल तुम, (7) कहें केदार खरी खरी, (8) मार प्यार की थापें आदि।
कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिये धन्यवाद, ओर सफ़लता के लिये शुभकामनाऎ
जवाब देंहटाएंसुन्दर कार्य कर रहे हैं आप लोग। हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिये धन्यवाद,
जवाब देंहटाएंहोली की ढेर सारी शुभकामनायें....