हिन्दुस्तानी एकेडेमी में सूर्य षष्ठी समारोह की झलकियाँ आपने इन पन्नों पर देखी थीं। उसी समय हमारे मन में यह विचार आया कि सूर्य के सम्बन्ध में जो विस्तृत ज्ञान इधर-उधर विखरा पड़ा है उसे एक स्थान पर पुस्तक के रूप में जिज्ञासु पाठकों को उपलब्ध कराया जाय। उसी स्वप्न का साकार रूप यह अनुपम पुस्तक सूर्य विमर्श जो संस्था के सचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय के अथक परीश्रम और दृढ़ इच्छा शक्ति का परिणाम है।
पुस्तक | सूर्य विमर्श (३२४ पृष्ठ) |
प्रकाशक | हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद |
संपादक | डॉ. सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय, |
मूल्य | रू.१७५/- मात्र |
वैदिक वाङ्मय से लेकर लौकिक संस्कृत वाङ्मय तक भगवान सूर्य की सर्वातिशायी महिमा प्रख्यापित है। सूर्य ही प्रत्यक्ष देवता हैं। वे संपूर्ण जगत के नेत्र और सभी जीवों की उत्पत्ति के स्थान है। सम्पूर्ण स्थावर-जंगम जगत की आत्मा हैं। सूर्य आत्मा जगतस्तथुषश्च- ऋग्वेद। सूर्य से इस पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य द्वारा ही सम्पूर्ण जगत धारण किया जा रहा है। सूर्य से ही यह प्रकाशित होता है। और उसी के द्वारा निःस्वार्थ भाव से इसका पालन किया जाता है। परात्पर रूप में सूर्य ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के भी स्वामी हैं। उन्हें ही देवता, यज्ञ और यज्ञों का फल भी बताया गया है। सम्पूर्ण देवता इन्हीं के स्वरूप है। सूर्य की आराधना चिन्ता और शोक को मिटाने वाली है और आयुर्वर्धक है। यह अज्ञान, जड़ता और अन्धकार का नाशक है। यह सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है।
सूर्य के इन्हीं स्वरूपों, शक्तियों एवं महिमा को केन्द्र में रखकर इस अद्भुत ग्रन्थ का सम्पादन किया गया है। न केवल वेदों, उपनिषदों व पुराणों में सूर्य के विविध रूपों, गुणों, एवं कर्मों का वर्णन इस पुस्तक में है अपितु सूर्य का आधुनिक वैज्ञानिक स्वरूप भी वेवेचित किया गया है। सूर्य से सम्बन्धित कोई भी पक्ष अछूता न रहे इसका यथा सम्भव प्रयास पुस्तक में दृष्टिगोचर होता है।
विषयानुक्रम
कालिदास की रचनाओं में तपश्चचर्या एवं सूर्योपासना
प्रो. सुरेश चन्द्र पाण्डेय पृ.सं.११
सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च- एक विश्लेषण
प्रो. विनोद चन्द्र श्रीवास्तव पृ.सं.१६
‘सोऽस्तु सूर्य: श्रिये व:’ मयूर-विरचित सूर्यशतक : एक चर्चा
डॉ.जगन्नाथ पाठक पृ.सं.२०
विष्णुसहस्रनाम में सूर्य तत्त्व
गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव पृ.सं.२६
सूर्य: विज्ञान की दृष्टि में
डॉ.जयन्त नाथ त्रिपाठी पृ.सं.३२
सूर्योपासना : चिकित्सा के सन्दर्भ में
डॉ.भगवत शरण शुक्ल पृ.सं.३९
भारतीय कला में सूर्य का अंकन
डॉ.विमल चन्द्र शुक्ल पृ.सं.४४
सूर्योज्योति: ज्योति: सूर्य:
डॉ.करुणा अग्रवाल पृ.सं.४८
उणादिकोष में सूर्य सन्दर्भ
डॉ.आनन्द कुमार श्रीवास्तव पृ.सं.५२
ऋग्वेद में सूर्य तत्त्व
डॉ.रामनरेश त्रिपाठी पृ.सं.६०
ज्योतिष में सूर्य जनित अनिष्ट योग
डॉ.सुरेन्द्र कुमार पाण्डेय पृ.सं.६७
वास्तुमण्डल में सूर्य
डॉ.शैलजा पाण्डेय पृ.सं.८२
सूर्यषष्ठी
डॉ.शैल कुमारी मिश्र पृ.सं.८८
सूर्य महिमा एवं सूर्योपासना
डॉ.राममुनि पाण्डेय पृ.सं.९३
ब्रह्मपुराण में सूर्य माहात्म्य
डॉ.कमलेश कुमार त्रिपाठी पृ.सं.९८
सूर्य का धारण-आकर्षण विज्ञान
डॉ.उर्मिला श्रीवास्तव पृ.सं.१०३
वेदों में सूर्यवाची शब्दों की सार्थकता
डॉ.राजेन्द्र त्रिपाठी ‘रसराज’पृ.सं.१०९
ब्रह्मवैवर्तपुराण की दृष्टि में सूर्य
डॉ.सुरेन्द्र पाल सिंह पृ.सं.११५
सूर्यपूजा और कोणार्क : मूक इतिहास एवं मुखर किंवदन्तियाँ
डॉ.बनमाली विश्वाल पृ.सं.१२९
लौकिक सूर्य का भौतिक परिचय
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी पृ.सं.१४६
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य की अवस्थिति
डॉ.गिरिजा शंकर शास्त्री पृ.सं.१६६
भविष्य पुराण में सूर्य
डॉ.दीपा अग्रवाल पृ.सं.१७९
सूर्य की कतिपय विशिष्ट प्रतिमायें
डॉ.ओमप्रकाश लाल श्रीवास्तव पृ.सं.१८३
सूर्य तत्त्व
डॉ.जनार्दन प्रसाद पाण्डेय पृ.सं.
वैदिक देवता सूर्य
डॉ.पुष्पलता अग्रवाल पृ.सं.१९४
लौकिक संस्कृत वाङ्मय में ‘सूर्य’
डॉ.निरुपमा त्रिपाठी पृ.सं.१९८
वेदों में सूर्य व उसकी अभिराम किरणें
डॉ.अर्चना सिंह पृ.सं.२०२
पूर्वी भारत में ही सूर्यषष्ठी व्रत क्यों?
डॉ.जयनारायण मिश्र पृ.सं.२०५
वास्तु विज्ञान में सूर्य विचार
डॉ.सोम प्रकाश पाण्डेय पृ.सं.२०७
सूर्य विश्लेषण- ज्योतिष की दृष्टि में
डॉ.राकेश कुमार पाण्डेय पृ.सं.२१२
सूर्य विज्ञान प्रणेता योगीराजाधिराज विशुद्धानन्द परमहंस
डॉ.मीता बनर्जी पृ.सं.२१७
जगदात्मा सूर्यदेव
डॉ.सावित्री दुबे पृ.सं.२२४
ऋग्वेद में सूर्य एवं सूर्य-ऊर्जोत्पत्ति विज्ञान
डॉ.अपराजिता मिश्रा पृ.सं.२२७
कलचुरि अभिलेखों में सूर्य एवं सूर्य पुत्र रेवन्त
डॉ.सत्यप्रकाश श्रीवास्तव पृ.सं.२३१
प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान और सूर्य
हिमांशु पाण्डेय पृ.सं.२३४
आदित्याय नम¨ नम:
डॉ.कनक लता दुबे पृ.सं.२३८
श्रीमद्भागवत महापुराण में सूर्य महिमा
डॉ.मालागुहा मजुमदार पृ.सं.२४१
सूर्य पुराण - एक विश्लेषण
योगेश कुमार पाण्डेय पृ.सं.२४५
वैदिक संहिताओं में सूर्य विज्ञान एवं वृष्टि विज्ञान में सूर्य की स्थिति
डॉ.अनिता सेनगुप्ता पृ.सं.२४९
द्वादशादित्य
डॉ.बीना मिश्रा पृ.सं.२५३
संस्दृत में सूर्य की अवधारणा
डॉ.रुबी वर्मा पृ.सं.२६१
सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च
सुरचना त्रिवेदी पृ.सं.२६७
पुराणेषु सूर्यतत्त्वम्
आचार्य दिवाकर मिश्र पृ.सं.२७२
वास्तुशास्त्र और सूर्य
डॉ.विजय कर्ण पृ.सं.२७६
पुराणों में सूर्य तत्त्व प्रतिष्ठा
डॉ.सुनीता जायसवाल पृ.सं.२८०
पुराणेषु सूर्यतत्त्वम्
डॉ.स्मिता अग्रवाल पृ.सं.२८६
सूर्य: ऊर्जा का अक्षय स्रोत (वैदिक परिप्रेक्ष्य में)
डॉ.कौमुदी श्रीवास्तव पृ.सं.२९१
सूर्योपासना की प्राचीन परम्परा और प्रयाग
डॉ.मीनू अग्रवाल पृ.सं.२९५
सूर्य की वैदिक कालीन अवधारणा
डॉ.ज्योति कपूर पृ.सं.३०१
वृष्टि विज्ञान में सूर्य की स्थिति
डॉ.अरुण कुमार त्रिपाठी पृ.सं.३०४
अग्निपुराण में सूर्य वर्णन
सन्तोष कुमार मिश्र पृ.सं.३१०
वैदिक देव सूर्य- एक अवलोकन
वीरेन्द्र कुमार मौर्य पृ.सं.३१३
सूर्यतत्त्व विमर्श
प्रो. यदुनाथ प्रसाद दुबे पृ.सं.३१६
चाक्षुषोपनिषद्
पृ.सं.३२१
आदित्यहृदय स्तोत्रम्
पृ.सं.३२२
महाभारत में युधिष्ठिर कृत सूर्य की स्तुति
पृ.सं.३२४
उम्मीद है आपको यह पुस्तक पसन्द आएगी। बस आदेश भेजिए। पुस्तकें हम अपने डाक व्यय पर उपलब्ध कराएंगे।
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
कोषाध्यक्ष- हिन्दुस्तानी एकेडेमी
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
देखना है यह अकादमी इस साल में!
जवाब देंहटाएंपुस्तक की विषयसूची व सामग्री की जानकारी के अनुसार यह एक गम्भीर पुस्तक प्रतीत होती है।
जवाब देंहटाएंपांडेय जी से हुई चर्चा के अनुसार भी इसकी यही छवि मन पर अंकित हुई थी। ऐसे गम्भीर विवेचनात्मक कार्यों का इस प्रकार विषयाधारित रूप में प्रकाश में आना अत्यन्त सुखद है।
एकेडेमी को अपने इस नए प्रकाशन हेतु साधुवाद।
पांडेय जी को बधाई पहुँचे। उनके कार्यकाल की यह एक और उपलब्धि है। उन जैसे उत्साही के हाथों एकेडेमी का भविष्य सुरक्षित है, तिस पर आप जैसा कर्मठ सहयोगी हो तो सोने पर सुहागा ही है।